Showing posts with label अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ - खण्ड 2. Show all posts
Showing posts with label अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ - खण्ड 2. Show all posts

Sunday 25 April 2010

अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ - खण्ड 2

अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ - खण्ड 2
      अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ - खण्ड 2 में '1960 का दशक`, '1980 का दशक` और '1990 का दशक` के शीर्षक से तीन दशकों में लिखी कुल 43 कहानियाँ संग्रहित की गयी हैं। इस खण्ड के शुरूआत में 'आप क्यों लिखते हैं?` नाम से अमरकांत का एक लेख भी है। इस लेख के माध्यम से वे इस प्रश्न का खुद से जवाब माँगने से नजर आते हैं कि आखिर वे लिखते क्यों है? इस प्रश्न के उत्तर में तरह-तरह के विार उनके मन में आते हैं। अंत में आखिर वे इसी नतीजे पर पहुँचते है कि, ''समय परिवर्तनशील है। वह अपने अंदर अनेक विरोधाभासों, अंतर्द्वंद्वों, संघर्षो और संभावनाओं को लिए आगे बढ़ रहा है। जो रचनाकार इस समय की प्रगतिशील सच्चाइयों को पहचानता है, वही उसे शब्दों में उतार सकता है, जिससे उसकी कृतियाँ उस समय की पहचान बन जाती है। यह काम बहुत कठिन है, शायद उतना ही कठिन, जितना तलवार की धार पर चलता।``9
      अमरकांत इस तलवार की धार पर चलने का साहस रखते हैंै। यह उनकी कहानियों से स्पष्ट है। 1960 से 1990 तक के समय में उनके द्वारा लिखी गई कुछ कहानियों का हम यहाँ परिचय प्राप्त करेंगे।